: लॉन में मस्ती करते शाहंशाहों के पांवों तले बिछी कालीन खींच कर भाग गया एक अदना-सा लेखपाल : पीएम आवास योजना का लाभ लूटने वालों की भीड़ से भी बदतर हो गयी हालत, अब कुंकुंआ रहे हैं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री लोग : जिसे हौंकते थे नेता, उन्हीं को हौंक दिया बड़ा बाबू ने :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यह किस्सा उन राजा-महराजाओं की है, जो आजादी के बाद राजा-रजवाड़े बने थे। लोकतंत्र के नये बड़े जमीन्दार। इन लोगों ने किसी शाहंशाह की तरह उन्होंने यूपी के मुखिया की कुर्सी सम्भाल कर प्रदेश की ऐसी की तैसी की, और आम जनता के बजाय अपनी बाकी उम्र सुख-सुविधा से भरपूर करने के लिए राजकोष को जी-भर कर लुटाया। सरकारी जमीन और सरकारी विशालकाय बंगलों-महलों को कब्जाया और बाकायदा विधानसभा से अपने लिए यह सुविधा आजीवन हासिल करने की जुगत भिड़ा ली, कि वे जब तक कब्र में नहीं जाएंगे, सरकारी जमीन पर बने सरकारी महल में सरकारी खजाने से बिलकुल महराजा की तरह रहेंगे।
जी हां, हम आज आपको उन्हीं लोगों की ताजा तस्वीर दिखाने जा रहे हैं, जो अपने वक्त में हाकिम-ए-हुकूमत हुआ करते थे। वजीर-ए-आला, यानी मुख्यमंत्री। लेकिन उनकी करतूतों से आजिज जनता ने जब उनको दुत्कार कर दूसरे हो राजदण्ड थमा दिया, तो वे बेरोजगार हो गये। लेकिन चूंकि जनता की औकात को यह लोग खूब समझते थे, इसलिए उन्होंने सरकारी ओहदा गंवाने के पहले ही कानून बनवा लिया कि हर पूर्व-मुख्यमंत्री को एक विशालकाय आवास सरकारी खर्चे से थमा दे दिया जाएगा, जिसकी देखभाल की जिम्मेदारी सरकारी खजाना ही करेगा। इतना ही नहीं, यह सुविधा उन्हें तब तक मिलती रहेगी, जब तक वे जिन्दा रहेंगे।
लेकिन आज उन सब की हालत बेहद दयनीय हो गयी है। वजह है यूपी का एक अदना सा लेखपाल। आप उसे बड़ा बाबू भी पुकार सकते हैं। यूपी की बड़ा बाबूगिरी की जमात यानी आईएएस की सेवा में करीब 33 बरस तक रहने वाले इस लेखपाल एसएन शुक्ला ने अपने जीवन में और कोई काम किया हो, या न किया हो, लेकिन इन सारे मुख्यमंत्री लोगों की भीड़ की ऐयाशियों को औकात में लाकर उन्हें सड़क पर खड़ा कर दिया है। बड़ा बाबू टाइप इस लेखपाल ने सरकारी खजाने की लूट के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय तक में इतना हल्ला-गुल्ला मचाया, कि आखिरकार सुप्रीमकोर्ट ने यह आदेश कर ही दिया कि इन सब मनुष्यरूपेण मृगाश्चरांति पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगलों से बेदखल कर दिया जाए।
हालत यह है कि यूपी के आधा दर्जन पूर्व मुख्यमंत्री जहां-तहां भटकते दिख रहे हैं। इनमें से आंध्रप्रदेश राजभवन-फेम वाले नारायण दत्त तिवारी, लड़कों से गलती हो जाती है और अयोध्या-कांड फेम वाले मुलायम सिंह यादव, पिता से सरेआम दो-दो हाथ करने वाले सुपुत्र अखिलेश यादव, करोड़पति माला फेम वाली मायावती, नकल अध्यादेश फेम वाले राजनारायण सिंह के साथ ही साथ कई पूर्व मुख्यमंत्रियों के रिश्तेदारों-आश्रितों के सहयोग से विशालकाल बंगलों को हथियाये लोगों का नाम शामिल है।
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सच बात यही है कि इन सभी की हालत इस लेखपाल के चलते बहुत दयनीय हो गयी है। अगर आप इन लोगों की हालत को समझना चाहें तो किसी भी जिलाधिकारी कार्यालय में भटकती भीड़ के बीच जरा कुछ वक्त बिताने की जहमत फरमाइये। आपको वहां दिखेगी अपाहिज, अशक्त, बेसहारा और निरीह लोगों की भारी रेलमपेल। जहां स्त्री-पुरूष लोग सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिये जहां-तहां भटकते मिलेंगे। किसी को वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ हासिल करने की दरकार होगी, तो किसी विधवा-पेंशन के लिए जहां-तहां भटकती दिख रही होगी। किसी को विकलांग भत्ता चाहिए था, जो महीनों की दौड़भाग के बावजूद नहीं मिल पा रहा है, तो किसी की फाइल ही गायब है।
कहीं किसी दफ्तर में उन लोगों को बार-बार दौड़ाया जाएगा, कि आज साहब नहीं हैं, या मंडल या मुख्यालय गये हैं। इसलिए वह दस-पांच दिन बाद ही दफ्तर में सम्पर्क करे। किसी को बताया जाएगा कि बजट खत्म होने वाला है और भीड़ बहुत है, इसलिए उसी को उस योजना का लाभ मिल पायेगा, जो साहब की मुट्ठी गरम कर देगा। किसी को तो साफ-साफ बता दिया जाएगा कि पचास हजार से कम में काम नहीं होगा, उतनी रकम टेंट में हो तब ही अगली बार आना। किसी को अपमानित किया जाएगा, किसी को दुत्कार कर अगले महीने आने को कहा जाएगा। किसी के कागज को अपर्याप्त और गड़बड़ बताया जाएगा, और किसी को सलाह दी जाएगी कि वह फलां दलाल से मिल कर आपनी फाइल चेक करवा ले। किसी को अफसर डांटता दिख जाएगा कि बार-बार डीएम से ही मिलने जाती हो, तो अब यहां क्या उखाड़ने आती हो।
लेकिन दर-दर भटकती यह भीड़ इतना अपमान के बावजूद हर एक मुमकिन बाबू-अफसर के सामने गिड़गिड़ाने पर आमादा रहती है। कोई कागज-पत्तर सुधारती है, तो कोई मीन-मेख, तो कोई चुपचाप वापस चली जाती है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके इन लोगों की हालत कमोबेश ऐसी ही है। कम से कम मकान को लेकर वे तो किसी प्रधानमंत्री आवास योजना के श्रेष्ठ सुपात्र की तरह ही दीखने लगे हैं। ( क्रमश:)
सरकारी बंगलों में सरकारी खजाने से मालपुआ उड़ाने पूर्व मुख्यमंत्रियों पर सर्वोच्च न्यायालय के करारे हमले ने नेताओं और जनप्रतिनिधियों द्वारा की जाने वाली सरकारी खजाने की लूट का खुलासा तो किया है। इस प्रकरण पर हम लगातार श्रंखलाबद्ध स्टोरी आप तक पहुंचाते रहेंगे। उससे जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-
